29 April 2009

आसमान में तैराकी


बीलिंग की हवाओं में ग्लाइडर के सहारे तैरने को तैयार हो जाइए विशाल आसमान में।
क्या आपका मन पंछियों की तरफ बेफ्रिक उड़ने का नहीं करता? क्या आप भी आसमां की बुलंदियों को छूना चाहते हैं, तो सोचिए मत, पैराग्लाइडिंग का निराला संसार आपकी बाट जोह रहा है। जिंदगी की फुल फॉर्म जाननी है, तो ग्लाइडर से हाथ मिला ही लीजिए। 50 से 60 फुट ऊंचे घने देवदार के दरख्तों से घिरा खुला लंबा मैदान हो, मैदान पर हरी मखमली घास की चादर बिछी हो, चारों ओर बादलों से ढके पर्वत हों, तो समझ लीजिए आपके पास मौका है एक नई उड़ान भरने का। आपकी आंखों के सामने एकाएक एक छतरी हवा में उड़ती है और मस्ती से नील गगन में हिचकोले खाने लगती है। छतरी के सहारे एक इंसान कभी पंछियों तो कभी बादलों से बातें करने लगता है। है ना वाकई रोमांच का दूसरा नाम- पैराग्लाइडिंग। हिमाचल की घाटियों में ये उड़नखटोले रोज नजर आते हैं। बर्फीले पहाड़ों की भव्यता में जमीन से ऊपर उठकर जमीन पर झांकने की इस कोशिश में कई लोग हिमाचल प्रदेश की कांगड़ा घाटी के बिलिंग तक पहुंचते हैं। बिलिंग पहुंचने के लिए बीड़ से होकर जाना पड़ता है। बीड़ से गुजरने के दौरान चाय के बागानों की सौंधी-सौंधी महक और बौद्ध मंदिरों की घंटियों की आवाज साफ सुनाई देती है। इस घाटी में इस साथ दर्जनों पैराग्लाइडर खड़े किए जा सकते हैं। धौलाधार पहाडिय़ों के पीछे की तरफ बनी जगह पर बनी जगह पर हवा का रुख कुछ इस तरह से रहता है कि सब कुछ आसान लगता है। धौलाधार की पहाड़ियों में आप 150 किलोमीटर के क्षेत्र में 5500 मीटर की ऊंचाई तक आराम से उड़ान भर सकते हैं। इस तैरते रोमांच में जोश, जुनून और उमंग के साथ हर वो चीज शामिल है, जो जिंदगी जीने के लिए निहायती जरूरी है। 1978 में फ्रांस में पैराग्लाइडिंग की शुरुआत हुई। वहां पहली बार एल्प्स पर्वत की ऊंचाई पर जाकर उड़ान भरी गई। हमारव् देश में यह खेल 1991 में उस वक्त आया, जब कुछ विदेशी पैराग्लाइडिंग पायलट्स ने कुल्लू घाटी में पैराग्लाइडर के सहारव् उड़ान भरने की योजना बनाना शुरू की। पैराग्लाइडिंग सीखना बस कुछ घंटों का काम है। अगर पैराग्लाइडिंग में लॉन्चिंग, टर्निंग और लैंडिंग का तरीका आपने अच्छे से सीख लिया, तो बस यकीन मानिए आपको आसमान में उड़ने से कोई नहीं रोक सकता। एक ग्लाइडर का वजन लगभग 7 किलोग्राम के करीब होता है। इसे 10 मिनट में आसानी से फोल्ड किया जा सकता है। ग्लाइडर में कपड़े से बनी दो सतह होती हैं। इन्हें सिलकर छोटे-छोटे हिस्सों में बांट दिया जाता है। आप आराम से ग्लाइडर में टिककर दौड़ लगाते हैं, इसमें हवा भरने लगती है और आप हवा में तैरने लगते हैं। इससे आप आसानी से तीन घंटे तक 15 हजार फीट की ऊंचाई से आसमान की सैर कर सकते हैं। घाटियों के जादुई सौंदर्य में पैराग्लाइडिंग का अलग ही मजा है। हिमाचल प्रदेश में कांगड़ा जिले की चामुंडा पीक और बिलिंग, बिलासपुर की बंदला घाटी, मंडी की जोगिंद्रनगर घाटी और कुल्लू की सोलंग घाटी पैराग्लाइडिंग के जानी जाती हैं। वहीं मध्यप्रदेश में महू, मैसूर में चामुंडा पहाडिय़ां और बैंगलूर में कोनिकट के साथ-साथ राजस्थान में अरावली पर्वत श्रेणियां भी पैराग्लाइडिंग करने वालों की पसंदीदा जगह हैं।
कैसे पहुंचें- निकटतम रेलवे स्टेशन पठानकोट। निकटतम एयरपोर्ट गुग्गल। धर्मशाला (70 किमी.), मंडी (70 किमी.) से बसें।

-आशीष जैन

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2 comments:

  1. Dear Sir,
     I need info. about pearagliding instructors and pilots for a job abroad, please advise

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  2. Re. paragliding instructors and pilots, my e mail is pilot.120@hotmail.com

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