जबसे जाना तुझको बाबा
सपनों से तुम लगते हो।
गांधी बाबा आज का भारत देखके
क्या कहते हो... क्या कहते हो।
बम फट गया... कोई लूट गया...गांधी तेरे देश में।
चारों ओर लुटेरे बैठे हैंसाधुओं के भेष में।
भय, भुखमरी, भ्रष्टाचार
क्या हैं इन पर तेरे विचार।
ना कोई अब सोच है
सिर्फ बचा अब जोश है ।
कोई नहीं है तेरा साथी
सब पूछें अब मजहब और जाति।
आरक्षण की हवा आ रही
सबको लगता नई दवा आ रही।
सत्य, अहिंसा बकवास है
दौलत की बस आस है।
सिद्धांत सब झूठे हैं।
गांधी से सब रूठे हैं।
गांधी बाबा... गांधी बाबा
क्या कहते अब बोलो।
एक अकेले तुम थे गांधी
लाए थे भारत में आंधी।
आज चाहिए सौ-सौ गांधी
तभी हो सकेगा सपना पूरा।
गांधी बाबा वापस आओ
नई राह फिर-फिर बतलाओ।
देश प्रेम की बयार फैलती जाए
तभी गांधी का जन्मदिन याद आए।
-आशीष जैन
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