26 August 2008

भई, क्या हुआ।


क्या कहा। हम बीजिंग में तीन पदक जीत गए। तो फिर चुप क्यों हो भई? खुशियां मनाओ ना। अभी तो पंद्रह अगस्त गया है। देश का गुणगान कर ही रहे थे। अब तो लग भी रहा है कि वाकई हम तो गुणों की खान हैं। अब ये मत पूछो कि हमने खिलाड़ियों के लिए क्या किया? भई याद करते-करते जुबान थक गई थी, पर हमें तो अंत राज्यवरधन सिंह राठौड़ ही याद थे। पर क्या करें, वो भी उस परदे की शूटिंग के चलते असल शूटिंग याद ही नहीं रख पाए। और सबसे बड़ी खुशी की बात तो यह है कि अब अंजलि, राज्यवरधन की बजाय एक नवा-नवा नाम अभिनव लोगों की जुबान पर चढ़ रहा है। जय हो अभिनव देव। तुम तो निशानेबाजी के धुरंधर निकले। गजब का जादू चलाया तुमने दादा। सब पस्त। चेहरे पर क्या तेज है, तुम्हारे। आगे भी इसी तरह हिंदुस्तान का नाम रोशन करो और बताओ देश को कि जीता अभिनव है और हारा हिंदुस्तान है। तुमने खुद के दम पर ये गोल्ड मैडल पाया। जरमनी जाकर मेहनत की। आज भी देश में लाखों अभिनव हैं, पर हर कोई तुम्हारी तरह बाहर थोड़े ही जा पाएगा। खैर छोडो़ सारी बातें। अब तो तुम स्टार बनकर करोड़ों लोगों के इस महादेश में धूम मचाते जाओ और देश का नाम ऊंचा करते जाओ।

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13 August 2008

दिल खुश है


हम आजाद हैं, दिल खुश है

मन में एक आस है, दिल खुश है।


अब तो हर सपने सच कर सकते हैं

हर घर आबाद है, दिल खुश है।


जो सोचा उससे ज्यादा मिला है

सोच आकाश है, दिल खुश है।


तरक्की, खुशहाली और किस्मत पर

हक सभी का है, दिल खुश है।


ना कोई छोटा, बड़ा ना भेदभाव है

सभी अपने हैं, दिल खुश है।


खेल, लेखन, साइंस, खेती सबमें अपना नाम है

सबको अवसर हैं, दिल खुश है।


सोच का दायरा बढ़ा

संकुचित ना भाव हैं, दिल खुश है।


सबको सुलभ न्याय है

ना कोई दबाव है, दिल खुश है।


तमन्ना है देश के लिए धड़कता रहे दिल

देश आगे बढ़े, दिल खुश है।


-आशीष जैन

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08 August 2008

राखी है प्यारा सा बंधन


मैं डरती हूं भाई से कुछ भी कहने से
मैं नहीं बताती उसे मन की कोई बात।

सोचती हूं सख्त है वो
पर शायद अखरोट सा अंदर से कोमल है वो।

मन का विश्वास है कि डांटेगा ही
पर नहीं होगा नाराज।

कर लेती हूं सपनों के राजकुमार से प्यार
अक्स नजर आता है भाई का सा उसमें मुझे।

डरती हूं टोकता है भाई मेरा बार-बार
लड़ती हूं क्यों दखल है हर काम में हर बार।

दम दिखलाती हूं हर किसी को
पर उसमें छुपा है भाई का प्यार।

डरती हूं मैं भाई से कुछ भी कहने से
पर डरती हूं बिना उसके रहने से।

हर पल रहे वो मेरे साथ
ना बोले, पर लगता है कर रहा है मुझसे बात।

डरती हूं मेरी डोली उठने के बाद
रह जाएगा हो जाएगा वो बिल्कुल उदास।


पर अब मन से डर जा रहा है
राखी का त्योहार आ रहा है।

इक रेशमी धागे बांध लूंगी दिलों के तार
बजता रहेगा उससे सदा मधुर संगीत।

हर डर हो जाएगा तब काफूर
वो नहीं रहेगा वो मेरे मन से दूर।

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