09 September 2008

धुआं धुआं होती नारी

आज जहां पूरी दुनिया तंबाकू से होने वाले नुकसान से चिंतित है। वहीं युवा पीढ़ी खासकर लड़कियां इससे होने वाले खतरों को धता बताकर इसे शौकिया अपना रही हैं। नई रिपोर्ट्स भारतीय शहरी महिलाओं और लड़कियों में धूम्रपान का बढ़ता चलन दर्शा रही हैं। यह संकेत घातक है। देश का स्वास्थ्य इससे बिगड़ सकता है। क्योंकि जब जननी ही धूम्रपान करने लगेगी, तो कैसे आने वाली पीढ़ी सुरक्षित रह पाएगी? विश्व तम्बाकू निषेध दिवस पर पेश है महिला धूम्रपान पर एक रिपोर्ट-

'अमिता, तुम भी किस जमाने की लड़की हो! कॉन्वेन्ट स्कूल में हमारे साथ पढ़ती हो, हॉस्टल में रहती हो और सिगरेट पीने से इस तरह घबराती हो।' नीता यह बात अपनी सहेली अमिता से कह रही थी। नीता और अमिता आज के समय की सच्चाई हैं। भारतीय शहरी महिलाएं और लड़कियां धूम्रपान के मामले में पुरुषों की बराबरी तक लगभग पहुंच गई हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के नए अध्ययन 'फर्स्ट रिपोर्ट ऑन ग्लोबल टोबैको यूज' के मुताबिक आज शहरी भारत में 10 में से एक महिला धूम्रपान करती है या तंबाकू चबाती है। अंतरराष्ट्रीय शोध दर्शाते हैं कि धूम्रपान के कारण महिलाएं उत्पादन जीवन के लगभग आठ साल खो देती हैं। इस विषय पर केन्द्रीय स्वास्थ्य संगठन मंत्रालय के 'राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम' की रिपोर्ट बताती है कि दुनियाभर में तंबाकू का सेवन करने वाली महिलाओं की संख्या बढ़ रही है। अंतरराष्ट्रीय शोध दर्शाते हैं कि धूम्रपान के कारण महिलाएं अपनी प्रॉडक्टिविटी के लगभग आठ साल खो देती हैं। आज देश के नामी स्कूल-कॉलेजों की लड़कियां आसानी से खुल्लमखुल्ला सिगरेट के कश खींचती नजर आ जाती हैं। धूम्रपान करने वाली 62 फीसदी भारतीय महिलाएं धूम्रपान न करने वाली 38 फीसदी की तुलना में अपने 'प्रॉडक्टिविटी इयर' में मर जाएंगी। यह अध्ययन इसी साल फरवरी में 'न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन' में प्रकाशित हुआ है। इस अध्ययन से जुड़े प्रभात झा कहते हैं, 'तंबाकू खासकर महिलाओं को ज्यादा क्षति पहुंचाता है। भारत में सन्‌ 2010 के दशक में 30 से 59 साल के बीच की महिलाओं की कुल मौतों में से 5 फीसदी मौतें अकेले धूम्रपान के कारण होंगी।' धूम्रपान करने से गर्भावस्था के दौरान कई समस्याएं सामने आ सकती हैं। मृत शिशु, प्रीमैच्योर बेबी या फिर गर्भपात भी हो सकता है।

तनाव को बताती हैं वजह
जयपुर की एक मशहूर बीपीओ कंपनी में काम करने वाली 24 वर्षीय अनन्या सिगरेट के बारे में अपने विचार खुलकर पेश करती है। उसके मुताबिक, 'कॉलेज के दिनों में ही मैंने बीपीओ जॉइन कर लिया था। यहां काम का दबाव जबर्दस्त रहता था। रात की शिफ्ट्स में भी लगातार काम करना पड़ता था। जिसके चलते मैंने सिगरेट पीनी शुरू कर दी। अब तो सिगरेट खून में समा गई है और मैं इसे नहीं छोड़ सकती। अनन्या जैसी लड़कियां बदलती अर्थव्यवस्था से पैदा हुए माहौल की एक बानगी भर हैं। आज महानगरों में लड़कियां खूब पैसा कमा रही हैं, ऐसे में इस तरह के शौक उनके लिए आम हो चुके हैं। एनईजेएम 2008 के मुताबिक आश्चर्यजनक रूप से 25 प्रतिशत भारतीय स्त्रियां रोजाना दस से भी ज्यादा सिगरेट फूंक रही हैं। हावर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के एक शोध के अनुसार वैवाहिक जीवन में होने वाली खट-पट से परेशान होकर भी महिलाएं धूम्रपान की ओर मुड़ रही है।

ग्लैमर, दिखावा और इंप्रेशन
जयपुर में एमबीए की 22 वर्षीय छात्रा पायल के मुताबिक सिगरेट तो ग्लैमर का एक प्रतीक है। अगर आपको अपने बॉस या दोस्तों को इंप्रेस करना है, तो सिगरेट के कश तो लेने ही पड़ेंगे। जब हमने उससे सिगरेट शुरू करने की वजह पूछी, तो उसका कहना था, 'शुरुआत में तो मैं सिगरेट से नफरत करती थी। पर मैंने देखा कि जो लड़कियां बॉस और दोस्तों के साथ सिगरेट पी रही हैं, उनका इंप्रेशन अच्छा है, तो मैंने भी सिगरेट पीना शुरू कर दिया। पर अब मैं इस लत को छोड़ना चाहती हूं। मुझे दुख है कि लाख कोशिशों के बाद भी मैं वापस सिगरेट पीने लगती हूं।' आज के दौर में विज्ञापनों और फिल्मों में नायिकाओं को धूम्रपान करते दिखलाया जाता है। ऐसे में पायल जैसी लड़कियां दिग्भ्रमित हो जाती हैं और सिगरेट को स्टेटस सिंबल से जोड़ने लगती हैं। सिगरेट कंपनियां भी अपने लुभावने विज्ञापनों से इस तरह का माहौल पैदा कर देती हैं, मानो सिगरेट के कश में एक जादुई संसार छुपा है। 'बंटी और बबली' फिल्म की विम्मी की तर्ज पर अधिकतर विज्ञापन और फिल्में धूम्रपान को आजाद ख्यालों से जोड़ती हैं। आज भी 26 फीसदी फिल्मों में हीरोइन धूम्रपान करते आसानी से नजर आती है।

क्या राज है इसमें
जयपुर के मालवीय नगर में लगभग 22 वर्षीय सुषमा और 21 वर्षीय निधि बतौर पेइंग गेस्ट रहती हैं। एक बार मुंबई में रहने वाली उनकी मित्र अंजलि उनसे मिलने आई। बातों ही बातों में उनमें शर्त लगी कि सुषमा सिगरेट नहीं पी सकती। सुषमा यह बात सुनकर भड़क उठी। उसने कहा, 'मैं भी पी सकती हूं।' अंजलि ने तुरंत उसके सामने सिगरेट पेश कर दी। सुषमा भी जोश में सिगरेट पीने लगी। धीरे-धीरे यह लत में तब्दील हो गई। अंजलि कहती है, 'मैंने उस वक्त गलती से सिगरेट पी ली थी। पर अब मैं सिगरेट पीना लगभग छोड़ चुकी हूं। मेरी दोस्तों ने मुझे इस बारे में बहुत समझाया। तब जाकर मैंने संकल्प लिया कि अब कभी सिगरेट को हाथ भी नहीं लगाऊंगी। सही बात भी है। अक्सर दोस्तों के उकसाने पर भी लड़कियां इस आदत का शिकार होती हैं। पश्चिमी संस्कृति के अनुरूप खुद को पेश करने की चाह भी इसके पीछे एक खास वजह है। डॉक्टरी शोध बताते हैं कि धूम्रपान करने वाली महिलाओं में कैंसर होने की आशंका 25 गुना ज्यादा होती है। साथ ही इससे महिलाओं की प्रजनन प्रणाली भी गड़बड़ाने की आशंका रहती है। जयपुर के कॉन्वेट स्कूल के पास होकर अभी कॉलेज के प्रथम वर्ष में दाखिला लेने वाली अंतिमा एक बार पिकनिक पर अपनी फ्रैंड्स के साथ गई थी। ग्रुप में एक लड़की को सिगरेट पीने की आदत थी। अंतिमा ने भी जिज्ञासावश सिगरेट पी ली। मस्ती और मजाक से शुरू हुआ यह दौर कब आदत बन गया, खुद उसे नहीं पता। आज भी अंतिमा इस बात से डरती है कि यह बात कहीं उसके माता-पिता को पता न लग जाए।

पता नहीं था
जयपुर में रहने वाली 20 वर्षीय प्रिया के पिताजी का जवाहरात का बिजनेस है। एक बार वह एक अच्छे होटल में डिनर के लिए गई। वहां एक जगह फ्लेवर्ड हुक्का था। दोस्तों और उसने मिलकर इसे एक बार आजमाने के लिए सोचा। उस वक्त को सबको थोड़ा अजीब लगा। पर धीरे-धीरे प्रिया का उस होटल में आना-जाना बढ़ा। हुक्के से आदत सिगरेट में तब्दील हो गई। अपनी इस आदत के बारे में प्रिया कहती है कि कभी-कभार सिगरेट पीने से क्या फर्क पड़ता है। पर शायद वह यह नहीं जानती कि यही निकोटिन एक दिन उसके लिए फेंफड़े के कैंसर का सबब हो सकता है।

आओ कुछ करें
महिलाओं में बढ़ता धूम्रपान रोकने के लिए कुछ खास तरह के उपायों की जरूरत है। वैसे तो सन्‌ 1975 से ही सिगरेट के पैकट पर 'धूम्रपान स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है' लिखा आ रहा है। पर यह 6 शब्द शायद उतने असरकारक साबित नहीं हुए हैं। सन्‌ 1998 में कम उम्र के लोगों को तम्बाकू उत्पाद न बेचने की बात भी सही तरह लागू नहीं हुई। परदे पर धूम्रपान की मनाही के प्रस्ताव पर असमंजस की स्थिति है। ऐसे में एक महिला, जो मां-बहन या बेटी की निश्चल भूमिका में थी, उसका इस तरह अपने स्वास्थ्य से खिलवाड़ वाकई चिंताजनक है। ऐसे में जरू रत है नई दिशा में बेहतर तरीके से सोचने और समन्वित प्रयास करने की।
- आशीष जैन

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खुदा से दोस्त मांगा, तुम्हें दिया ऐसा जुल्म मुझ पर क्यों किया


मेरे मरने के बाद मेरे दोस्त यूं आंसू ना बहाना

अगर मेरी याद आए तो,सीधे ऊपर चले आना

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