10 February 2009

साहस की नैया सफलता का किनारा

छप्पन साल की अमरीकी महिला जेनिफर फिगे बनीं अटलांटिक महासागर तैरकर पार करने वाली दुनिया की पहली महिला।

'पानी मेरी जिंदगी का अहम हिस्सा है। इसे छूते ही मुझमें गजब का जोश आ जाता है। मैंने 24 दिन पानी में गुजारे और 3,380 किलोमीटर की दूरी समंदर में तैरकर पार कर ली। फिर जब मैंने अपने पांवों के नीचे कैरव्बियाई बालू महसूस की, तो मेरी सारी थकान दूर हो गई। मैं खुशी से पागल हुए जा रही थी।' यह बात एक जलपरी कह रही है। जी हां, 56 वर्षीय अमरीकी महिला जेनिफर फिगे किसी जलपरी से कम नहीं हैं। जेनिफर ने अफ्रीका के केप वर्डे द्वीप से त्रिनिदाद तक तैराकी की और अब वे अटलांटिक महासागर तैरकर पार करने वाली दुनिया की पहली महिला बन गई हैं।
काश, शार्क मिलती
उन्होंने अपनी यात्रा इसी 12 जनवरी को शुरू की थी। तेज हवाओं और नौ मीटर ऊंची लहरों का सामना भी उन्होंने किया, पर हिम्मत नहीं हारी। अटलांटिक महासागर की यात्रा के दौरान उनका सामना बहुत सी व्हेलों, कछुओं और डॉल्फिनों से हुआ। वे बताती हैं, 'मैं समंदर में एक बार शार्क से सामना करना चाहती थी, पर रास्ते में मुझे एक भी शार्क नजर नहीं आई। शार्क से मुकाबले के लिए मैं एक खास किस्म के खोल में तैरती थी।'इस यात्रा से पहले उन्होंने अपने घर के स्वीमिंग पूल में घंटों मेहनत की और खुद को समंदर की परिस्थितयों से निपटने के लिए तैयार किया। इस सफर के बारे में जेनिफर कहती हैं, 'मेरा सालों पुराना सपना पूरा हो गया। मैंने बचपन में ही अपनी मम्मी को बता दिया था कि मुझे अटलांटिक महासागर पार करना है। जब मैं 11 साल की थी, तब एक बार मैं अपनी मां के साथ इटली जा रही थी। अटलांटिक महासागर के ऊपर से हवाई यात्रा के दौरान मैंने मजाक में मम्मी से कहा कि काश, मैं समुद्र में गिर पड़ूं और आगे का सफर तैरकर पूरा करूं और आज मेरा वही सपना पूरा हो गया है।'
आठ घंटे पानी में
सफर के बारे में बताते हुए जेनिफर रोमांचित हो उठती हैं और बोलती हैं, 'रोज मेरे आठ घंटे पानी में बीतते थे और उसके बाद मैं अपनी नाव में वापस आ जाती थी।' जब वे तैरती थी, तो उनकी नाव पर उनके साथ चलने वाली टीम उन्हें एनर्जी ड्रिंक फेंकते थे। कभी-कभी जब लहरें बहुत तेज चलती थीं, तो टीम के सदस्य खुद उनके पास जाकर पेय पदार्थ देकर आते थे। जेनिफर बोट पर सुबह 7 बजे उठती थीं। पास्ता और भुने हुए आलू खाकर समुद्री मौसम का अनुमान लगाती थीं। ऐसा भी हुआ कि खराब मौसम के चलते एक बार समुद्र में वे सिर्फ 21 मिनट तक ही तैर सकीं। तैराकी के समय फिगे लाल टोपी और वैट सूट पहनती थी। इसका कारण पूछने पर उनका जवाब रहता है, '1926 में इंगलिश चैनल तैरकर पार करने वाली पहली महिला गेर्टरूडे एडरले की एक तस्वीर हमेशा मेरे पास रहती है। वे भी तैराकी को अपनी जिंदगी मानती थीं। वे मेरव् लिए सबसे बड़ी आदर्श हैं और सबसे बड़ी बात है कि तैराकी के दौरान वह भी यही ड्रेस पहनती थीं।' साथ ही वे 1952 में 39 साल की उम्र में अटलांटिक महासागर में पहली बार नाव चलाने वाली महिला अन्ना डेविसन से भी बहुत प्रभावित हैं। बकौल फिगे, 'मैं अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और पिता की साइन की गई लाल शर्ट को भी अंदर पहनकर रखती हूं। यह मेरे लिए लकी चार्म है। इसी ने मुझे मुश्किलों से बचाया।' रात के समय वे मांस-मछली पर निर्भर रहती थीं। खान-पान पर इतना ध्यान देने की खास वजह थी कि उन्हें रोज 8 हजार कैलोरी बर्न करनी होती थी।
भटकी पर हारी नहीं
ऐसा नहीं है कि उनके लिए सब आसान था, पर जेनिफर बताती हैं, 'मैं कभी डरी नहीं। मैं हमेशा से ही बड़ा काम करने में भरोसा रखती थी। मुझे बहामा द्वीप समूह तक पहुंचना था, पर मैं थोड़ा भटक गई और 5 फरवरी को त्रिनिदाद के एक टापू तक पहुंचने में सफल हुई। मैंने लोगों को बता दिया कि एक महिला भी तूफानों का सामना कर सकती है।' पूरे सफर के दौरान उनके एक मित्र डेविड हिगडॉम उनसे संपर्क में रहे। आगे उनकी योजना फरवरी के अंत तक त्रिनिदाद से ब्रिटिश वर्जिन द्वीप तक तैरकर जाने की है। इसके बाद वह एस्पेन के कोलोराडो स्थित अपने घर जाकर अलास्काई रिश्तेदारों के साथ कुछ दिन बिताएंगी। फिगे का सत्ररह साल का बेटा एलेक्स रव्सिंग कार ड्राइवर है और अपनी मां की तरह ही रोमांचक खेलों को अपनी जिंदगी बनाना चाहता है।
-प्रस्तुतिः आशीष जैन

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