28 May 2008

कविता


ये समय क्या है?
इक खता है।
हर समय, हर पल
गलती के निशां छोड़ जाता है।
बीता हुआ हर पल क्यों रूलाता है?
पल कभी पल-पल करके
तो कभी सदी बनके गुजरता है।
पल को पाने की जुर्रत क्यों करता हूं मैं
पल को पाने के लिए पल-पल गंवाता हूं मैं।

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