29 December 2008

ख्वाब हो या हो कोई हकीकत


पार्वती ओमानकुट्टन मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता में बनीं फर्स्ट रनरअप।

सुंदरता को कोई रंगों के माध्यम से चित्र में संजोने की कोशिश करता है, तो कोई छंदों के जरिए गीत में कहने की कोशिश करता है पर केरल की 21 वर्षीय सुंदरी पार्वती ओमानकुट्टन के रूप को रंगों या छंदों के माध्यम से बांधने की हर कोशिश जाया जाती है। आखिर वे हैं ही इतनी सुंदर। पूरे 8 साल बाद कोई भारतीय सुंदरी मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता के फाइनल राउंड में पहुंची। पार्वती हाल ही हुई मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता में मिस वर्ल्ड बनते-बनते रह गईं और फर्स्ट रनरअप बनीं। मिस वर्ल्ड में भारतीय सुंदरियों की फेहरिस्त पर नजर डालें, तो कोई लंबी सूची नहीं बनती। सबसे पहले 1966 में रीता फारिया ने मिस वर्ल्ड के सिलसिले को शुरू किया, वह ऐश्वर्या राय (1994), डायना हेडेन (1997), युक्ता मुखी (1999) से होता हुआ प्रियंका चोपड़ा (2000) पर आकर रुक गया। इस साल पूरे देश को पार्वती से उम्मीदें थीं, उन्होंने इसके लिए कड़ी मेहनत भी की और इसी की बदौलत वे प्रतियोगिता में फर्स्ट रनर अप बनीं और सफलता से सिर्फ एक पायदान दूर रह गईं।

हौले-हौले सफर

पार्वती केरल के कोट्टयम में चंगानाचेरी में 13 जुलाई 1987 को पैदा हुई। जब वे छह महीने की थीं, तभी पूरा परिवार मुंबई में आकर बस गया। उन्होंने अपनी पढ़ाई मुंबई में ही की। मुंबई के मीठीबाई कॉलेज से अंग्रेजी साहित्य की पढ़ाई करने वाली पार्वती की मम्मी हाउस वाइफ हैं और पिता एक प्राइवेट कंपनी में काम करते हैं। उनका छोटा भाई अभी क्लास 11 में पढ़ता है। बकौल पार्वती, 'मैं हमेशा से ही मिस इंडिया बनने का सपना देखा करती थी। फिर मैं फैशन शोज में भाग लेने लगी। फिर मिस मलयालम बनकर ही दम लिया। जब मैंने ऐश्वर्या राय को टीवी पर मिस वर्ल्ड बनते देखा, तो पापा से कहा कि मैं भी मिस वर्ल्ड बनकर दिखाऊंगी। वे बडे़ खुश हुए और मेरी मदद के लिए तैयार हो गए। '

तैयार पूरी है

पांच फुट नौ इंच लंबी पार्वती ने मिस इंडिया कंपीटीशन में जहां 28 भारतीय लड़कियों को हराकर ताज हासिल किया वहीं दक्षिण अफ्रीका के जोहांसबर्ग शहर में आयोजित 58वीं मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता में उनका मुकाबला 108 लड़कियों के साथ था। मुकाबले के लिए पार्वती ने अपने ट्रेनर्स के साथ काफी पसीना बहाया। पर्सनेलिटी डवलपमेंट गुरुओं से लेकर ड्रैस डिजाइनर्स तक की हर बात पर अमल किया। अप्रेल में मिस इंडिया प्रतियोगिता जीतने के बाद से ही वे इसके लिए जुट गईं। मम्मी-पापा से सीखापार्वती के मुताबिक, 'प्रतियोगिता में रंग-रूप से साथ-साथ दिमाग पर भी काफी ध्यान देना पड़ता है। हाजिरजवाबी तो मुझमें पहले से ही थी, इसी की बदौलत मैं फाइनल तक पहुंच सकी। मम्मी से जहां मैंने सादगी सीखी, तो पापा से बड़प्पन।' पार्वती को संगीत सुनने, नाचने, पेंटिंग और किताबें पढ़ने का बहुत शौक है। भारतीय क्लासिकल डांस में उन्हें महारत हासिल है। साथ ही उन्हें तैराकी, बास्केटबॉल और बैडमिंटन खेलना बहुत भाता है। दूसरी सुंदरियों की तरह वे भी फिल्मों में अपनी किस्मत आजमाना चाहती हैं। बकौल पार्वती, 'मैं सलमान खान और रितिक रोशन की बहुत बड़ी फैन हूं। उनके साथ फिल्में करने की मेरी दिली इच्छा है। पर इससे पहले मैं अपनी एमबीए की पढ़ाई पूरी करना चाहती हूं।' मिस इंडिया बनने के बाद के दिनों को याद करते हुए वे कहती हैं, 'जब मैं मिस इंडिया बन गई, तो मेरे प्रति लोगों का नजरिया ही बदल गया। लोग मेरे ऑटोग्राफ के लिए पीछे पड़ने लगे।'

सपने सोने नहीं देते

पार्वती को सबसे ज्यादा सब्यसाची के ड्रैस किए हुए डिजाइन पसंद आते हैं। अपने माता-पिता को अपनी ताकत मानने वाली पार्वती आत्मविश्वास और भगवान में आस्था को अपनी सबसे बड़ी पूंजी मानती हैं। जब उनसे उनकी कमजोरी के बारे में पूछा जाता है, तो वे बेबाकी से कहती हैं,'मुझे गलत चीज पर गुस्सा बहुत जल्दी आता है।' अपने सपनों के राजकुमार के बारे में उनका मानना है कि वह शख्स मेरी भावनाओं को समझने वाला होना चाहिए। पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का एक वाक्य, 'सपने वो नहीं होते, जो सोते समय आते हैं, सपने तो वो होते हैं, जो आपको सोने ही नहीं देते।' उन्हें बहुत अच्छा लगता है। मां के हाथ के बने खाने को वे अपने व्यस्त शिड्यूल में बहुत मिस करती हैं। खूबसूरती के बारे में उनका कहना है, 'मैं बाहर की बजाय मन की सुंदरता को ज्यादा तरजीह देती हूं। सुंदरता के लिए मैं मेकअप की बजाय हैल्थ पर ध्यान देती हूं।'

- आशीष जैन

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