13 May 2009

सफलता का सफर

जानते हैं सिविल सर्विसेज एग्जाम में टॉप करने वाली शुभ्रा सक्सेना के बारे में।
आईआईटी रुड़की से अमरीका, यूनाइटेड किंगडम और सिंगापुर... फिर सिविल सर्विसेज एग्जाम के शिखर पर काबिज होने का शानदार मोड़। वाकई शुभ्रा सक्सेना के लिए जिंदगी का सफर काफी रोमांचक रहा।

सिविल सर्विसेज एग्जाम 2008 में टॉप करने वाली शुभ्रा ने आईआईटी रुड़की से सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग की, पर आईटी सेक्टर की शानदार नौकरी छोड़कर देश सेवा में लगने का फैसला किया। पढ़ाई के चार साल बाद तक वे तीन आई टी कंपनियों में काम करती रहीं। उन्होंने 2006 में अपनी नौकरी छोड़ी और नई दिल्ली के राजेंद्र नगर में किराए का अपार्टमेंट लेकर आईएएस बनने की तैयारी करने लगी। वे सुबह आईएएस की तैयारी करवाने वाले संस्थान में पढ़ाती थीं और बचे हुए समय में खुद तैयारी करती थीं। इंजीनियर शुभ्रा ने साइकोलॉजी और पब्लिक एडमिनिस्टे्रशन विषय से एग्जाम दी। आईएएस बनने की इच्छा के बारे में शुभ्रा कहती हैं, 'बोकारो में कोयले की खदानों के आस-पास मजदूरों के खेलते हुए बच्चों को देखकर मुझे लगा कि क्यों न ऐसा काम किया जाए, जिससे इन बच्चों का भला हो सके। फिर तो मैंने ठान लिया कि मैं आईएएस बनकर दिखाऊंगी। उत्तरप्रदेश के बरेली में पैदा हुई 30 वर्षीय शुभ्रा के पिता अशोक चंद्र सेंट्रल कोलफील्ड लिमिटेड में अधिशासी अभियंता हैं। झारखंड के हजारीबाग से स्कूलिंग करने के बाद शुभ्रा आईआईटी से बीटेक करने के लिए रुड़की आ गई। फिर आईटी सेक्टर में नौकरी के चलते अमरीका, यूनाइटेड किंगडम और सिंगापुर भी गई। पर वे अपने काम से खुश नहीं थीं। इसलिए अपनी मां के पास यहां आकर आईएएस की तैयारी करने लगी। शुभ्रा की शादी छह साल पहले नोएडा के शशांक गुप्ता से हुई। शशांक अभी नोएडा में सीएससी कंपनी में प्रोजेक्ट मैनेजर हैं। आईएएस एग्जाम के इतिहास में भी ऐसा पहली बार हुआ है, जब पहले तीन स्थानों पर महिलाओं ने बाजी मारी है। शुरुआती 25 स्थानों में 10 लड़कियां शामिल हैं। उन्होंने साबित कर दिखाया है कि अब देश चलाने के लिए महिलाएं कमर कस चुकी हैं।
-आशीष जैन

इससे जुड़ीं अन्य प्रविष्ठियां भी पढ़ें


No comments:

Post a Comment