06 May 2009

मां को बचाना है

बॉलीवुड एक्टैरस रवीना टंडन यूनिसेफ की ब्रांड एंबेसेडर बनकर मांओं को बचाने की खास मुहिम में जुटी हैं।

'बच्चे के जन्म के समय या गर्भावस्था की समस्याओं के दौरान मां की मौत को अक्सर लोग गरीबी से जोड़ते हैं। पर मेरा मानना है कि यह गलत धारणा है।' रवीना टंडन की यह सोच निराधार नहीं है। वे महिलाओं को गर्भ से जुड़ी भ्रांतियों की सच्चाई से रूबरू कराने के मिशन पर हैं। आज गर्भ से जुड़ी समस्याओं के चलते देश में हर साल 78 हजार महिलाओं की मौत हो जाती है। यूनिसेफ के साथ मिलकर रवीना गांव-गांव में रोड शो करने की योजना बना रही हैं। ग्रामीण लोग जानकारी के अभाव में महिलाओं का ध्यान नहीं रख पाते और महिलाएं मौत का ग्रास बन जाती हैं।

उनका कहना है कि आज भी देश के अधिकांश घरों में महिलाओं से पहले पुरुष भोजन करते हैं। अगर घर में कोई गर्भवती महिला है, तो घर के सभी सदस्यों को महिला की सेहत का ध्यान रखना चाहिए। इससे होने वाला बच्चा भी तंदुरुस्त पैदा होगा। गर्भवती महिलाओं को दवाइयों और विटामिन्स का खास ख्याल रखना होगा। तीन से पांच रुपए में आने वाली फालिक एसिड की गोली से भी गर्भ की समस्याओं को रोका जा सकता है। उनका सुझाव है कि महिलाओं को गर्भकाल के दौरान खुद के स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहना चाहिए। साथ ही घरवालों को भी महिला को पोषक तत्व देने के लिए एक अतिरिक्त खुराक देनी चाहिए। अगर महिला शारीरिक रूप से स्वस्थ होगी, तो उसे बच्चे के जन्म के समय कोई दिक्कत पेश नहीं आएगी। साथ ही उनका मानना है कि महिलाओं को दो बच्चों के जन्म के बीच कम से कम तीन या चार साल का अंतर रखना चाहिए, ताकि बच्चों की परवरिश ढंग से की जा सके। रवीना का कहना है कि अगर बच्चियों की जल्द शादी की बजाय माता-पिता उन्हें शिक्षित करेंगे, तो आगे चलकर यही लड़कियां बेहतर मां भूमिका निभा पाएंगी।
-आशीष जैन

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