19 March 2009

मंदी में मौज

मंदी के दौर में हम सबके लिए जरूरी हो गया है कि अपनी जरूरतों पर लगाम कसी जाए और बचत के सूत्र को जीवन में उतारा जाए। आपको पता ही नहीं होता और छोटे-छोटे खर्चों से आपकी जेब ढीली होती जाती है। फाइनेंस एक्सपर्ट गौरिका चौधरी बता रही हैं कि मंदी के दौर में आम लोग खासकर महिलाएं किस तरह रुपए-पैसे की बचत करें। आइए जानते हैं कुछ मनी मंत्र-
पैसा आज की सबसे बड़ी जरूरत है। मंदी के दौर में इस बारे में सोचना निहायती जरूरी हो गया है। महिलाओं के साथ सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि कदम-कदम पर उनका वास्ता रुपए-पैसे से पड़ता है, पर उन्हें नहीं पता होता कि यह कैसे आता है और कहां-कैसे जाता है। इंश्योरेंस, शेयर बाजार जैसे विषयों पर उनकी राय नहीं ली जाती। अक्सर हिंदुस्तानी पति नहीं चाहते कि उनकी पत्नी पैसे के बारे में किसी जानकार से राय ले। महिलाओं को पता नहीं होता कि उनके पति का बिजनेस का टर्नओवर कितना है? मेरा मानना है कि घर के आर्थिक मामलों में महिलाओं की भूमिका में इजाफा होना चाहिए। जेब और जीवनशैली का गहरा नाता है। अगर आपके पास ज्यादा पैसे हैं, तो जाहिर सी बात है कि आप अपना और परिवार का जीवन स्तर सुधारना चाहेंगे। मंदी के दौर में जेबें छोटी हो गई हैं, पर लोगों के सपने अभी भी बड़े हैं। ऐसे में पूरे परिवार को ही हर फैसले में कदम फूंक-फूंक कर रखने होंगे। आज नौकरियां जा रही हैं। कंपनियां अपने कर्मचारियों को आधी तनख्वाह ही दे रही हैं। ऐसे में परिवार संभालने के लिए महिला की भूमिका बहुत बढ़ जाती है।

खुद के लिए बचत

मेरे शो 'गौरिका चौधरी शो' में ऐसी महिलाएं आती हैं, जो अपने परिवार की किसी न किसी तरह से मदद करना चाहती हैं। उन्हें पता है कि पति को बिजनेस में घाटा हो रहा है, पर वह खुलकर अपनी परेशानी बताने से बच रहा है। कमाने वाली महिलाएं भी खुद की बजाय घर को सामने रखकर ही पैसों के बारे में कोई फैसला लेती हैं। यह कुछ हद तक ठीक है। पर महिला को अपने बारे में भी सोचना चाहिए। हर महिला को खुद की निजी जरूरतों के हिसाब से बचत करनी चाहिए, जिस पर सिर्फ उसका हक हो। परिवार के लिए आप इतना कुछ करती हैं, पर अगर आने वाले समय में परिवार आपका साथ नहीं दे, तो इससे आपके पास पैसों का कोई जरिया तो होगा। उधार लेकर घी पीने की आदतों से हमें निजात पानी होगी। अक्सर हम एक-दूसरे को देखकर फिजूलखर्ची में मशगूल हो जाते हैं, पर मेरी सलाह है कि दरअसल फिजूलखर्ची व्यक्तित्व का एक हिस्सा होती है। पैसों को खर्च करने में कभी देखादेखी नहीं करनी चाहिए। हो सकता है जो मेरी जरूरत है, वो आपके लिए फिजूलखर्ची हो। यह पूरी तरह इंसान की सोच पर निर्भर है। इस समय हमें बचत पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए। आज अच्छी-अच्छी कंपनियां डूबने की कगार पर हैं। ऐसे में बाजार पर पैनी नजर रखना जरूरी है।

निवेश सोच-समझकर

इस समय इक्विटी और सोने में निवेश करना खतरों से भरा है। ऐसी चीजों में निवेश की जरूरत है, जो काम पड़ने पर काम आ सके। हम भारतीय अक्सर छोटे-छोटे निवेश में दिलचस्पी लेते हैं। अगर आप गोल्ड में निवेश करते हैं, तो यह मेरे मुताबिक सही नहीं होगा, क्योंकि हम अक्सर सोने को बेचते कहां हैं। अगर आपको पैसों को कहीं निवेश करना है, सबसे सुरक्षित जगह फिक्स डिपोजिट में पैसा जमा करें। आज के समय में बैंक में ही धन सुरक्षित है। बैंक आपको ब्याज भी अच्छा दे रहे हैं। साथ ही बैलेंस्ड फंड्स में भी निवेश करना अच्छा रहेगा। पहले लोग सोचते थे कि टैक्स सेविंग के लिहाज से घर खरीदने में पैसा निवेश किया जाए, पर आप सबको पता है कि रियल स्टेट मार्केट में गजब की गिरावट है। इसलिए आप इससे दूर रहें, तो ही भला है। इस वक्त घर खरीदने की नहीं सोचें। दो-तीन महीने रुक जाएं। हां, अगर आप रहने के लिए घर खरीदना चाहते हैं, तो इस समय मोलभाव अच्छे से कर सकते हैं। इंवेस्ट के लिहाज से मैं मना कर रही हूं। पैसे को लेकर आप अपनी प्राथमिकताएं तय कर लीजिए। कौन-कौनसी ऐसी चीजें हैं, जिन पर पैसा खर्च करना आवश्यक है, उनकी लिस्ट बना लीजिए। इस मंदी के समय में आपको घर में तीन-चार महीने की तनख्वाह रिजर्व में रखनी होगी, अगर आपकी नौकरी चली जाती है, तो यही पैसा काम आएगा। अगर आप पीपीएस में निवेश करें, तो बहुत अच्छा है। इसमें आपको साढ़े आठ फीसदी तक का अच्छा रिटर्न मिलता है। इंश्योरेंस में कुछ बंदिश होती हैं और इसके डूबने के आसार भी बन सकते हैं। यूलिप खरीदने से भी आपको बचना चाहिए। लंबी अवधि के लिए पैसा लगाना है, तभी म्यूचुअल फंड अच्छे हो सकते हैं, वरना नहीं।

दिखावा नहीं जरूरत समझें

मंदी के दौर में घर के सभी सदस्यों को मनोवैज्ञानिक रूप से तैयार हो जाना चाहिए। मूवी और आउटिंग पर परिवार सबसे ज्यादा पैसा खर्च करता है। इससे बचना चाहिए। अक्सर लोग मुझसे कहते हैं कि हमारव् लिए बच्चे सबसे बड़ी प्राथमिकता हैं, हम उनके खर्चों में कटौती नहीं कर सकते। पर हमें बच्चों को समझाना होगा। पिज्जा, बर्गर की बजाय दूसरी चीजें भी खा सकते हैं। आज लोग सब चीजें बाहर से ही मंगवाते हैं। मेरा मानना तो यह है कि शाम को घर पर ही चाय बनाकर आनंद लीजिए। थोक में सामान खरीदने की आदत डालिए। बिजली के बिल को कम करने की कोशिश भी जरूरी है। सप्ताह में एक बार ही वाशिंग मशीन चलाइए। घंटों टीवी देखने पर भी कंट्रोल करना जरूरी है। कभी-कभी बिना एसी के भी तो रहा जा सकता है ना। जिन लोगों ने अच्छे माहौल में पैसे जमा कर लिए, उनके लिए तो कोई दिक्कत नहीं है। जिन्होंने अपनी चादर से ज्यादा पांव नहीं पसारी, वे आज मजे कर रहे हैं। दिक्कत यह है कि मंदी के दौर में भी कुछ लोग अपनी लाइफ स्टाइल में बदलाव करना नहीं चाहते। भई, अगर छोटी गाड़ी से आप ऑफिस पहुंच सकते हैं, तो दिखावे के लिए बड़ी गाड़ी खरीदने की जरूरत क्या थी। मेरा मानना है कि अभी अपने सपनों को टालिए। चाहे आपके पास पैसे हों, पर खर्च करने की बजाय उन्हें जमा कीजिए। यही पैसा आगे आपके काम आएगा।

(आशीष जैन से बातचीत के आधार पर)

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