28 February 2009

...हम हौसलों से उड़ा करते हैं

कलम थामने वाली कोमल कलाइयों ने फाइटर प्लेन को भी बखूबी कंट्रोल किया। अलीगढ़ की सुमन शर्मा ने सेना में कोई प्रशिक्षण नहीं लेने के बावजूद मिग-35 और एफ-16 को बड़ी कुशलता से उड़ाया। अब वे रूसी मिग उड़ाने वाली दुनिया की पहली महिला बन चुकी हैं। इस जोशीले सफर की कहानी, खुद सुमन शर्मा की जुबानी-
20 हजार फीट की ऊंचाई। हाथ में फाइटर प्लेन का कंट्रोल स्टिक। मुंह पर ऑक्सीजन मॉस्क। तेजी से धड़कता दिल। प्लेन का एसी चालू है, पर चेहरे पर पसीने छूट रहे हैं। नीचे झांकने पर पूरी दुनिया छोटा-सा खिलौना नजर आने लगी। ऐसे में जरा सी चूक हो जाए, तो जान पर बन आने का डर। कुछ-कुछ ऐसा ही एहसास मुझे 9 फरवरी को सातवें एयरो इंडिया में हुआ जब मैंने एफ-16 फाइटर प्लेन को उड़ाया। हवा को चीरते हुए प्लेन ज्यों ही आगे बढ़ा, मानो जिंदगी थम सी गई है। लगा मैं कोई पंछी हूं। बचपन में आसमान में उड़ते परिंदों को देखकर अक्सर मन करता था कि मैं भी नीलगगन में किसी पंछी की तरह उड़ती फिरूं। यकीन ही नहीं हुआ कि खुली आंखों से देखा मेरा सपना साकार हो रहा है। फिर तो कुछ ऐसा जोश आया कि तीन दिन बाद ही लड़ाकू विमान मिग-35 को भी उड़ा लिया।
मुकाबला गुरुत्वाकर्षण से

मैंने सुन रखा था कि उड़ान के दौरान मुझे गुरुत्वाकर्षण का दबाव झेलना पड़ेगा, पर इसका अनुभव कतई नहीं था। उड़ान भरते ही कुछ सैकंड के लिए गुरुत्वाकर्षण ने असर दिखाना शुरू कर दिया। मेरा खास 'जी सूट' फूलता चलता गया। मैंने एफ-16 की उड़ान के दौरान 6 'जी' और मिग-35 की उड़ान के दौरान 7 'जी' गुरुत्वाकर्षण झेला। दरअसल 'जी' गुरुत्वाकर्षण को मापने की इकाई है। जितना 'जी' मुझ पर पड़ा, कुछ सैकंड के लिए मेरा वजन उतना गुना बढ़ गया। मैं सांस जल्दी-जल्दी लेने लगी। प्लेन ऊपर जा रहा था और गुरुत्वाकर्षण नीचे की ओर खींच रहा था। हृदय ने रक्त को तेजी से पंप करना शुरू कर दिया ताकि मस्तिष्क तक रक्त पहुंचता रहे और मैं बेहोश ना होऊं। उड़ान के दौरान बेहोश होने के बचने के लिए मैंने कुछ खास उपाय किए। उड़ान के 2 घंटे पहले ढेर सारा पानी पिया, मुझे पेट से तेजी से सांस लेनी थी और शरीर के निचले हिस्से को दबाए रखना था। उड़ान के दौरान मैं लगातार पायलट के संपर्क में रही। वे मुझे सुझाव और चेतावनियां देते रहे। फ्लाइट से 4 घंटे पहले पायलट ने मुझे पूरी चीजें समझाईं। मैंने एफ-16 चालीस मिनट तक और मिग-35 बयालीस मिनट तक उड़ाया। आगे मेरा सपना है कि मैं सुपरक्रूज स्पीड उड़ाऊं।
ना चक्कर ना बेहोशी
कई लोग कहते थे कि फाइटर प्लेन उड़ाने के लिए गजब की मानसिक शक्ति होनी चाहिए। हर कोई ऐरा-गैरा इन्हें नहीं उड़ा पाएगा। मैंने अब पूरी दुनिया को बता दिया कि हम महिलाओं को कम ना समझें। फाइटर प्लेन उड़ाने का सफर भी बड़ा रोमांचक रहा। तीन साल पहले मैं बंगलौर गई थी। वहां सेंट्रीफ्यूगल चैंबर में पायलट ट्रेनिंग हो रही थी। शौक-शौक में मैं भी उसमें बैठ गई। फिर तो पूरे एक घंटे तक मैंने उड़ान भरी। इस दौरान न तो मुझे चक्कर आए, न ही बेहोश हुई। इसी दौरान पिछले साल मैं अमरीका गई और वहां एफ-16 लड़ाकू विमान की फैक्ट्री में गई। वहां मैंने इसके सिम्युलेटर को बखूबी उड़ा लिया।तैयारी पूरी थीडिफेंस की रिपोर्टिंग के दौरान मुझे पता लगा कि हिंदुस्तानी एयरफोर्स के लिए 126 लड़ाकू विमान खरीदे जा रहे हैं। मैंने शुरू से ही सारे मामले पर नजर रखी। मेरी इच्छा थी कि क्यों न मैं इन फाइटर प्लेन को उड़ाकर देखूं। इसके लिए मैंने 2007 में पिछले एयरो इंडिया में एफ-16 की कंपनी को अर्जी दी कि मुझे प्लेन उड़ाने की इजाजत दी जाए। इस साल के एयरो इंडिया में मुझे इसके लिए इजाजत मिली। मैंने अपनी तैयारियां शुरू कर दीं। इंटरनेट पर लड़ाकू विमानों से जुड़ी हुई सामग्री खोजी। पुराने पायलट के बात की। साथ ही डॉक्टर्स से भी जानकारी ली कि मेरा शरीर उड़ान के दौरान कितना दबाव झेल पाएगा। शरीर को संतुलित रखने के लिए जैज डांस सीख लिया था।
मुश्किल नहीं है कुछ भी
मेरा जन्म गुजरात के जामनगर में हुआ, पर रहने वाले हम अलीगढ़ के हैं। दिल्ली में शुरुआती पढ़ाई के बाद देहरादून में इंडियन मिलिट्री एकेडमी में इंस्ट्रेक्टर का काम किया। तभी से मेरा मन सेना से जुड़ गया। बाद में मैं पत्रकारिता की दुनिया में आ गई और डिफेंस के बारे में फ्रीलांसिंग करने लगीं। आज मैं दिल्ली में 'साउथ एशिया डिफेंस एंड स्ट्रेटजिक रिव्यू' में रक्षा मामलों के लिए रिपोर्टिंग करती हूं। मम्मी प्रेमा, पापा रिटायर्ड कमांडर एचपी शर्मा और भैया कर्नल राजेश के सहयोग के बिना यह काम करना मुश्किल था। अपनी जैसी लड़कियों से कहना चाहती हूं कि दुनिया में कोई भी काम मुश्किल नहीं है। हो सकता है लक्ष्य मिलने में थोड़ा समय लगे, पर अगर आप धैर्य रखकर काम में लगे रहेंगे, तो देर-सवेर फतह आपकी ही होगी। मेरा मानना है कि सफलता के लिए स्वस्थ शरीर भी होना चाहिए, तभी आप अपने सपने पूरे कर सकते हैं।(जैसा उन्होंने आशीष जैन को बताया)

इससे जुड़ीं अन्य प्रविष्ठियां भी पढ़ें


1 comment:

  1. Fabulous blog with the classic display, I really liked each post especially the Holi one…Thanks for sharing your beautiful ponders with us…keep it up>>>>>>>

    ReplyDelete