19 February 2009

फैशन वही जो दिल को छू ले

फैशन के रंग डिजाइनर राघवेंद्र राठौड़ की जुबानी।

फैशन यानी जो मन को भाए या फिर जो पर्सनेलिटी को निखारे। शायद वही जो मन को जमा, पहना और बन गए स्टाइलिश। पर फैशनेबल फिर भी नहीं बन पाएंगे क्योंकि असल में फैशन छुपा होता है हमारी पर्सनेलिटी में, जिसे आप एक सादा-सी शर्ट में भी इम्प्रेसिव बना सकते हैं। बस प्रजेंट करने का तरीका आना चाहिए। परिधान किसी भी शैली के हों अगर आपने बिंदास तरीके से उन्हें पहन लिया, तो यकीन मानिए, लोग आपके कायल हो जाएंगे। एक फैशन डिजाइनर होने के नाते फैशन को मैं इन्हीं शब्दों में बांध सकता हूं। बॉलीवुड और फैशन इंडस्ट्री के लोग जब मुझसे यह पूछते हैं कि एक उम्दा डिजाइन की प्रेरणा मुझे कहां से मिलती है, तो मैं यही कहता हूं मेरे लिए फैशन एक सोच है। इसके लिए मुझे कहीं जाना नहीं पड़ता। मेरी जहां नजर पड़ती है, वहां से नया आइडिया मिल जाता है और इस तरह प्रकृति से लेकर संस्कृति तक सब कुछ मेरी डिजाइनिंग का हिस्सा बन जाता है।
कुदरत है पाठशाला
इस कायनात को जिसने भी डिजाइन किया है, वह अद्भुत है। हर तरह के रंगों को लेकर पेड़-पौधे, फूल-पत्तियों को जिस खूबसूरती से बनाया गया है, उसे देखकर अक्सर मैं दंग रह जाता हूं। कहीं झरने का निर्मल सफेद पानी, तो कहीं अंधेरे की कालिमा। क्या आपने कभी बया का घोंसला देखा है। किस खूबसूरती से वह अपना घर डिजाइन करती है। स्टाइल के लिए मुझे कहीं जाना नहीं पड़ता, मैं प्रकृति से ही अपने डिजाइंस की प्रेरणा लेता हूं। फैशन तो पूरी दुनिया में एक-सा रहता है। हां, हर देश के मुताबिक वहां के लोगों का नजरिया बदलता जाता है और फिर बदलाव होते-होते वहां की संस्कृति में ढल जाता है। आज हमारे यहां के बंधेज और साडिय़ां विदेशों में मशहूर हो रही हैं और हमारे देश में बाहर के स्टाइल जुड़ रहे हैं। कण-कण में डिजाइनराजस्थान के कण-कण में डिजाइन बसे हैं। चूंकि मैं जोधपुर में पला-बढ़ा हूं, इसकी माटी की महक ही मुझे मदहोश कर देती है। राजस्थानी महिला जिस तरह से घूंघट करके रहती है और कालबेलिया नृत्यांगना जिस जोश से चारों ओर घूमती है, वे मेरे दिमाग में उनके पहनावे के लिए खास जिज्ञासा पैदा करते हैं। राजस्थान की मिट्टी में ही ऐसी खासियत है कि यहां के लोग अपने सादा कपड़ों में भी दूर से ही चमकीले नजर आते हैं। उनके कपड़ों का कमाल है कि लगता नहीं कि किसान खेत में दिनभर मेहनत करके घर लौट रहा है। एक राजस्थानी किसान की इमेज सोचते ही पगड़ी, धोती, मोजड़ी और मूंछें एक साथ ही दिमाग में आ जाती हैं। इन्हीं को बढ़ावा देने के लिए एक प्रोजेक्ट पर काम कर रहा हूं। कपड़ों के डिजाइंस के साथ-साथ मैं टेक्सटाइल पर भी ध्यान देने लगा हूं। मेरा मानना है कि कपड़ों को एक कॉम्बिनेशन की दरकार होती है। अक्सर हम सोचते हैं कि फलां शर्ट फलां पेंट पर जंचेगी या नहीं। पर अगर हम अपने बालों, जूतों, चेहरे के आकार को भी इसमें शामिल कर लें, तो आपको मिस्टर या मिस परफेक्ट होने से कोई नहीं रोक सकता।
कम्युनिकेशन का जरिया
कम्युनिकेशन का एक बेहतरीन जरिया है कपड़े। कपड़ों की मदद से लोग अपने मन की बात कहते हैं। अगर मैं पीला चोला डाल लेता हूं, तो आपके मन में एकाएक ही मेरे लिए धार्मिक छवि आने लगेगी। पहली नजर में लोग पहनावे से ही आपको परखते हैं। आप किसी शोक सभा में जा रहे हैं, तो खुद-ब-खुद सफेद या सादे कपड़े पहनना पसंद करेंगे। आपने जो पहना है, वह सामने वाले को आपके बारे में अदृश्य संदेश भेजता है। इसी से सामने वाला आपकी इमेज बनाता है, इसलिए खुद को परखें। फिल्मों को देखकर प्रभावित ना हों। किसी की नकल करने से अच्छा है, खुद का स्टाइल पैदा करें। मैं खुद बहुत स्टाइलिश कपड़े पहनना पसंद नहीं करता। मुझे सफेद रंग बहुत लुभाता है। कॉटन पेंट, सफेद शर्ट, बंद जैकेट और नोकदार जोधपुरी जूतियां मुझे परफेक्ट लुक देने के लिए काफी हैं। फिल्म इंडस्ट्री में अमिताभ बच्चन का डे्रस सेंस कमाल का है। उन्हें फैशन की जबरदस्त समझ है। कोई फैशन डिजाइनर भी उन्हें अनफिट कपड़े पहनाने लगे, वे मना कर देते हैं। उनके शो 'कौन बनेगा करोड़पति' के लिए ड्रेस डिजाइन करने में बहुत मजा आया, पर मेरे दिल के करीब 'एकलव्य' है। इस फिल्म में राजस्थानी कपड़ों के खूबसूरत प्रेजेंटेशन का बहुत दबाव था। मुझे खुशी है, दर्शकों को मेरे डिजाइन पसंद आए।
सादगी की बहार होगी
अक्सर कहा जाता है कि फैशन डिजाइनर सिर्फ रैंप या मूवीज के लिए कपड़े डिजाइन करते हैं, पर ऐसा नहीं है। मैं हमेशा लोगों की भावनाओं और देश के मौजूदा हालातों के मुताबिक कपड़ों की डिजाइनिंग पर जोर देता हूं। आने वाले समय में डिजाइनिंग पर देश के हालातों का असर पड़ेगा। मुंबई बम हादसों के बाद हमारी यही कोशिश है कि अब सादगी पसंद चीजों पर ज्यादा ध्यान दिया जाए। चकाचौंध की बजाय लोगों के दिलों को छूने वाले कपड़े मार्केट में आएं। अब जो फैशन मार्केट में आएगा, वह हकीकत के नजदीक होगा।
-आशीष जैन

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