19 September 2008

गांव चलें हम

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मन करता है एक ऐसी जगह उड़ चलें, जहां कुदरत ने अपना हर रंग बिखेरा हो, जहां प्राकृतिक सुषमा के साथ विरासत का आकर्षण हो। जहां खुली हवा, नीले आसमान और हरी-भरी वसुंधरा की त्रिवेणी मिलकर मन को लुभा जाए। कला और संगीत फिजाओं में महकते हों। तो फिर आओ चलें शहर की रोशनी से दूर गांवों की ओर। यहीं मिलेगा आपको यह सब।

मैं तो जाता अपने गांव, सबको राम-राम राम। जी हां, गांवों की ओर लौट चलने का मन कर रहा है, तो देर मत लगाइए। गांव का सुकून तो बस वहां जाकर ही महसूस किया जा सकता है। गांव की मस्ती चूल्हे पर बनी मोटी रोटी और लहसुन की चटनी में ही मिल सकती है। दरअसल आज शहरों में आदमी का दम घुट रहा है। अब हमें उन बड़े-बड़े कारखानों, धुआं उगलती चिमनियों से दूर एक ऐसा गांव याद आता है, जहां हम सदा के लिए बस जाएं। पहले हम परेशान होते थे, तो याद आती थी पहाड़ों की। हम शिमला, मसूरी, दार्जिलिंग, श्रीनगर या फिर मनाली की तरफ भागते थे। पर अब तो वहां भी अजीब नजारा देखने को मिलता है। सड़कों पर चलने को जगह नहीं है। होटलों में कमरे नहीं हैं। पानी भी बूंद-बूंद करके आता है। सब तरफ परेशानियां हैं। ऐसे में हमें गांव-देहात में कुछ पल गुजारने की इच्छा होती है। मन में शायर की ये पंक्तियां गूंजने लगती हैं-
शहर की रोशनी से अब मेरा दिल भर गया यारो
चलो फिर से वहीं पुराने गांव चलते हैं।
मन चाहता है, कुछ ऐसे पल, जो सदा के लिए उसके हृदय में बस जाएं। वो पल कानों में बांसुरी की मधुर धुन की तरह गूंजते रहें। आज फिर गांव लौटने का मन कर रहा है। आप और हम ही नहीं, पूरी दुनिया के लोगों को गांव की मिट्टी की सौंधी सुगंध भा रही है। सांसों में बहती हुई शांति, दिलों में बसता हुआ लोगों का विश्वास और प्यार, पूरी दुनिया में किसी मोल में नहीं मिल सकते। गांव में आप बरगद के पेड़ नीचे बैठे-बैठे कब सुबह से शाम के सफर पर पहुंच जाते हैं, पता ही नहीं चलता।
हां, भारत के लिए ग्रामीण पर्यटन की बात कुछ नई हो सकती है। पर यह अब धीरे-धीरे विकसित हो रहा है। लोग वाकई गांव का माहौल पसंद कर रहे हैं। पर्यटन से जुड़े लोग भी इस ओर ध्यान देने लगे हैं। देसी से लेकर विदेशी पर्यटक कड़ाही में पकती हरी सब्जियों का आनंद लेना चाहते हैं। वे तंदूर की रोटी को खेजड़ी के पेड़ के तले पूरे इत्मीनान से खाना चाहते हैं। चाहे गांवों में बिजली ना हो, सड़कें ना हों, पर कं क्रीट के जाल से निकलकर वहां की झोपड़ियों में जाते ही दिल को आराम मिलता है। गांव वाले भी इस बात से खुश हो रहे हैं कि लोग आ रहे हैं। इस बहाने उनका भी रोजगार बढ़ रहा है। उन्हें भी आमदनी हो रही है। वे मन ही मन पावणों का स्वागत करके भाव-विभोर हो रहे हैं। इसी तरह विदेशी पर्यटक भी कहते हैं कि यहां के कण-कण में आत्मीयता छुपी है। यहां आज भी ग्रामीण लोगों में 'अतिथि देवो भव' की भावना बसी हुई है। वे पर्यटकों को अपने परिवार का सदस्य मानकर सेवा करते हैं। यह विचार सिर्फ रॉबर्ट का ही नहीं है बल्कि राजस्थान में आने वाला हर पर्यटक यहां के सत्कार व आवभगत से अभिभूत है। इस तरह लोगों के ग्रामीण पर्यटन की ओर बढ़ते रुझान को देखकर सरकार भी वहां के लोगों को तो रोजगार के अवसर मुहैया करा ही रही है, साथ ही इस बहाने पर्यटकों को भी हर तरह की सुविधा मिल रही है। 'राजग्राम्य योजना' और 'ब्रेड एंड ब्रेकफास्ट योजना' इसी तरह की योजनाएं हैं, जो ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने के मकसद से लागू की गई हैं।

क्या है राजग्राम्य योजना
राजस्थान सहकारिता विभाग ने 30 दिसम्बर 2007 से जिले के हर्ष गांव व फतेहपुर के ढांढ़ण गांव को ग्रामीण सहकार पर्यटक योजना में शामिल करते हुए राजग्राम्य योजना की शुरूआत की गई है। योजना में राज्य के 26 पर्यटक स्थलों को चिह्नित किया गया है।
राजग्राम्य योजना में देशी विदेशी पर्यटक अनुभवी ट्यूर ऑपरेटर्स के प्रयासों से 30 सदस्यों के पर्यटक दल को भ्रमण के लिए लाया जाएगा। गांव के रहन-सहन जानने के लिए भ्रमण के दौरान पर्यटकों को गांव का पैदल या बैलगाड़ी से दौरा करवाकर वहां की कला-संस्कृति एवं रहन-सहन व परम्पराओं से अवगत कराया जाएगा। इस दौरान ठहरने की व्यवस्था ग्राम सेवा सहकारी एजेन्सी करव्गी।

साफा पहनाकर किया जाएगा स्वागत
योजना के तहत गांव में आने वाले देशी-विदेशी पर्यटकों का तिलक लगाकर, लोकगीत गाकर, माला व राजस्थानी पगड़ी अर्थात्‌ साफा पहनाकर उनका स्वागत किया जाएगा।

झोंपड़ी में होगी चारपाई
ग्राम सेवा सहकारी समिति भ्रमण दल के सदस्यों के लिए झोंपडिय़ों में व्यवस्था की जाएगी। बैठने के लिए मिट्टी से बनी सीटों अथवा मुड्डों की व्यवस्था होगी।

संस्कृति व लोक कलाकारों की प्रस्तुति
भ्रमण दल को गांव की कला एवं संस्कृति से रूबरू करने के लिए स्थानीय लोक कलाकारों द्वारा भोपा-भोपी नृत्य, कालबेलिया नृत्य, सपेरा नृत्य, शेखावाटी का प्रसिद्ध कच्ची घोड़ी नृत्य, बग्गी की सवारी, ऊँट व घोड़ी नृत्य दिखाया जाएगा।
गांव सहकार पर्यटक योजना के तहत गांवों में मिट्टी के बने बर्तन, लकड़ी, कपड़े, हस्तनिर्मित सामान, नमदे, खेस, बादले, राजस्थानी जूतियां, मोजड़ी उपलब्ध कराए जाएंगे।

गांव के परिवारों से जुडऩे का सीधा मौका
गांव में आने सभी पर्यटकों को ग्रामीण जीवन के रहन-सहन व उनके बारे में जानने का सीधा मौका मिल सकेगा। इसके अलावा यहां आने वाले पर्यटकों को ग्रामीण जीवन की झलक भी देखने को मिलेगी।

ब्रेड एंड ब्रेकफास्ट योजना
भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय ने देश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए 'ब्रेड एंड ब्रेकफास्ट योजना' नाम की एक नई योजना शुरू की है। इस के तहत कोई भी मकान मालिक इसमें भाग लेकर अपने मकान का कमरा/कमरे पर्यटकों को रहने के लिए दे सकेगा, जिसमें मकान मालिक को भी आय होगी और पर्यटकों को भी अच्छी जगह सस्ते दामों पर मिल सकेगी। वैसे तो यह योजना पूरे भारत वर्ष में लागू है परन्तु ऐसे इलाकों में इसका खास महत्त्व होगा, जहां होटल के कमरों की कमी है। इस योजना में भाग लेने के लिए मकान मालिकों को पहले पर्यटन मंत्रालय/पर्यटन विभाग के पास स्वयं को पंजीकृत कराना होगा कि वे अपने कमरे पर्यटकों को रहने के लिए देना चाहते हैं तथा उनके पास पर्यटकों के रहने लायक गुणवत्ता वाले आवास हैं।

योजना में भाग लेने की शर्तें
योजना में भाग लेने के लिए सबसे पहली शर्त तो यह है कि घर का मालिक घर में रहता हो, उसके खिलाफ कोई आपराधिक मामला न हो, कम से कम एक तथा अधिक से अधिक पांच कमरे किराए पर दे सकता है।

योजना के लाभ
यदि आपका घर पहले से ही सभी सुविधाओं से सुसज्जित है, तो कम खर्चे में आप यह व्यापार शुरू कर सकते हैं। इसके अलावा पर्यटक बहुत ही कम समय के लिए ठहरते हैं। मंत्रालय ने कोई दरें निर्धारित नहीं की हैं। 'गोल्डन वर्ग' में आने वाले कई घरों के मालिक, पर्यटकों से 1500 से 2500 रूपए प्रतिदिन लेते हैं। मेजबानों के लिए मेहमान कोई बोझ नहीं है। मेजबान को उन्हें सिर्फ सुबह का नाश्ता देना होता है। अधिकांश मेहमान पूरा दिन बाहर रहते हैं और रात को लौटते हैं। महिलाओं के लिए तो यह कारोबार बहुत ही लाभकारी है क्योंकि वे घर से बाहर निकले बिना ही कमा सकती हैं और इसके लिए खास प्रशिक्षण की भी आवश्यकता नहीं होती।

योजना में कैसे भाग लें
योजना में भाग लेने के लिए एक आवेदन-पत्र है जिसे पर्यटन मंत्रालय की वेबसाइट www.incredible india.org से प्राप्त किया जा सकता है। फार्म प्राप्त करने के बाद पुलिस सत्यापन के लिए स्थानीय पुलिस स्टेशन में आवेदन करना होगा। पुलिस की क्लियरेंस मिलने में लगभग दो दिन लगते हैं।
इसके बाद आवेदनकर्ता को अपना आवेदन (जिसके साथ उन सुविधाओं की सूची लगी हो, जो आपके घर में उपलब्ध हैं) फार्म प्रस्तुत करना होगा जिसके साथ पुलिस का क्लीयरेंस लगा हो तथा घर के स्वामित्व का प्रमाण पत्र भी संलग्न हो, आवेदनकर्ता को मंत्रालय को पंजीकरण शुल्क भी जमा कराना होगा, जो 'गोल्ड कैटेगरी' के लिए 5,000 रूपए तथा सिल्वर वर्ग के लिए 3,000 रूपए हैं।
इसके बाद मंत्रालय की एक समिति उस घर का दौरा यह सुनिश्चित करने के लिए करेगी कि बताई गई सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं या नहीं। समिति तब यह निर्णय करेगी कि घर 'स्वर्ण (गोल्ड)' वर्ग में आएगा या 'रजत (सिल्वर)' वर्ग में।
(उर्मिला राजौरिया, अतिरिक्त निदेशक, पर्यटन विभाग से बातचीत के आधार पर)

- आशीष जैन (रतन सिंह के सहयोग से)

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