05 August 2009

उइगरों की रेबिया


बासठ साल की रेबिया को चीन की सरकार हाल में हुए दंगों के लिए जिम्मेवार ठहराया है। पर वे खुद को मानवाधिकार की हितैषी बताती हैं। जानते हैं रेबिया की जिंदगी के अनछुए पहलुओं को-
मानवाधिकार के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम करने के लिए उन्हें 2004 में 'राफ्टो पुरस्कारÓ से सम्मानित किया गया। उइगर लोग संघर्ष करते वक्त उनकी तस्वीरें हाथों में लिए होते हैं। उन्होंने अपनी जिंदगी के छह साल चीन की जेल में गुजारे हैं। बच्चों की शिक्षा के लिए वे अपने डिपार्टमेंटल स्टोर के कमरों में क्लासेज चलाती थीं। उन्होंने उइगर महिलाओं को खुद का रोजगार विकसित करने के लिए 'थाउजेंड मदर मूवमेंटÓ चलाया। हम बात कर रहे हैं रेबिया कदीर की।

वे कभी चीन की सबसे अमीर महिलाओं में से एक हुआ करती थीं, पर आज उनके पास अपना एक पैसा भी नहीं है और वे अमरीका के वॉशिंगटन में निर्वासित जीवन बिता रही हैं। हान जाति और शिनजियांग प्रांत में रहने वाले उइगर जाति के बीच में हुए दंगों के सरकार उन्हें जिम्मेवार ठहरा रही है।
उइगरों की मां
रोचक बात है कि जिस राबिया पर चीन में दंगे फैलाने का आरोप लगाया जा रहा है, उन्हें 2006 में नोबल पुरस्कार के लिए नामित किया गया था। उसी साल म्यूनिख में उन्हें 'विश्व उइगर कांग्रेस' का चेयरमैन बनाया गया है। वे एक करोड़ से ज्यादा उइगरों की मां मानी जाती हैं। गौर करने वाली है कि रेबिया कभी चीन की संसद की सदस्य थीं और चीन की सरकार ने एक समय उनके कामों की सराहना की थी और 1992 में उन्हें 'पालिटिकली कन्सलटेटिव कांग्रेसÓ का सदस्य नियुक्त किया गया था। साथ ही 1995 में यूनाइटेड नेशंस के महिलाओं पर हुए चौथे विश्व सम्मलेन में वे चीन की तरफ से भेजे गए डेलीगेट्स में एक सदस्य थीं। उसी चीन की सरकार ने उन पर आरोप लगा दिया कि वे राष्ट्र विरोधी कामों में संलग्न हैं। देशद्रोह के आरोप लगाकर चीन की सरकार उन्हें छह साल के जेल में डाल दिया। पूरी दुनिया के दबाव में आकर चीन सरकार ने उन्हें बरी तो किया, पर निर्वासित जीवन जीने पर मजबूर कर दिया।
संघर्ष से संवारी जिंदगी
रेबिया का जन्म 21 जनवरी 1947 को एक गरीब परिवार में हुआ। पर वे शुरु से ही संघर्षशील महिला रहीं। लॉन्ड्री के काम से अपने बिजनेस की शुरुआत करके वे एक टे्रडिंग कंपनी की मालिक बनीं। उन्होंने एक प्रोजेक्ट के तहत उइगर महिलाओं को रोजगार शुरू करने के लिए धन मुहैया कराया। 1997 के शिनजियांग के गुलजा उइगर नरसंहार के बाद वे चीनी सरकार के विरोध में उतर आईं। 1999 के आते-आते चीनी सरकार ने उन पर देशद्रोह का इल्जाम लगाकर जेल में डाल दिया। साल 2005 में उस समय की अमरीकी विदेश मंत्री कोंडालिसा राइस के हस्तक्षेप के चलते उन्हें रिहा किया गया। उन्होंने दो शादियां की। रेबिया के ग्यारह बच्चे हैं। उनके दो बच्चे अभी भी जेल में हैं। वे उइगरों के हक के लिए किए जाने वाले शांतिपूर्ण संघर्ष की पक्षधर रही हैं।
-आशीष जैन

इससे जुड़ीं अन्य प्रविष्ठियां भी पढ़ें


1 comment:

  1. china me ye koi nayee baat nahi hai , lekik rabiya ki koshish kabile tarif hai

    ReplyDelete