29 July 2009

निरूपमा का जवाब नहीं


एक अगस्त से देश के विदेश सचिव का पद संभालने वाली निरूपमा राव की जिंदगी के कुछ अनछुए पहलू-
एक ओर विदेश सेवा के संजीदा काम की धूप और दूसरी ओर काव्य और संगीत की ठंडी छांव। जब ये धूप-छांव मिलती हैं, तो ऐसे व्यक्तित्व का सृजन होता है, जो हर परिस्थिति में उचित निर्णय लेता है। देश की नई विदेश सचिव निरूपमा राव की यही खूबी उन्हें भीड़ से जुदा करती है। वे 1973 बैच की आईएफएस टॉपर हैं। 21 साल की उम्र में विदेश सेवा से जुडऩे वाली निरूपमा को विदेश मंत्रालय की पहली महिला प्रवक्ता होने का गौरव हासिल है।

संवेदनाओं से लबरेज
वे अपने साथियों के बीच अच्छे ड्रेसअप के लिए जानी जाती हैं। उनके पास ज्वैलरी का अच्छा कलैक्शन है। वे एक प्रशिक्षित क्लासिकल डांसर हैं और सावर्जनिक रूप से परफॅार्मेंस दे चुकी हैं। वे गिटार भी बजाती हैं। उन्हें कविताएं लिखने का शौक है। उनकी कई कविताएं छप भी चुकी हैं। साथ ही वे कर्नाटक संगीत की भी अच्छी जानकार हैं। काव्य और संगीत का असर उनके व्यक्तित्व में साफ झलकता है। उनकी आवाज में कवियों के ओज और नारी की कोमलता का अद्भुत मिश्रण है। एक कवयित्री के तौर पर वे संवेदनाओं और भावनाओं से लबरेज हैं। पर जब वे बड़े फैसले लेती हैं, तो अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखती हैं। छह दिसंबर, 1950 को केरल में जन्मीं निरूपमा एक आर्मी अफसर की बेटी हैं। उन्होंने महाराष्ट्र की मराठा यूनिवर्सिटी से अंग्रेजी साहित्य में एमए किया है। उनके पति सुधाकर राव भी भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी हैं। उनके दो बेटे हैं। दिलचस्प बात है कि लोकसभा की पहली महिला स्पीकर मीराकुमार और निरुपमा एक ही आईएफएस बैच से थीं।
खरी-खरी सुनाती हैं
बतौर विदेश सचिव उनके सामने कई बड़ी चुनौतियां हैं। पड़ोसी देशों पाकिस्तान, नेपाल, म्यांमार और बांग्लादेश में अशांति के माहौल में अपना दृढ़ पक्ष रखना एक प्रमुख काम है, वहीं अमरीका की कूटनीतिक चालों का जवाब देने में भी उन्हें अपना कौशल दिखाना होगा। वे इस पद को पाने वाली देश की दूसरी महिला होंगी। इससे पहले 2001 में कुछ समय के लिए चोकिला अय्यर भी विदेश सचिव के पद पर काम कर चुकी हैं। 58 साल की निरुपमा अभी चीन में भारत की राजदूत हैं। चीन में राजदूत बनने से पहले वे बतौर विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता दुनिया को खरी-खरी बातें सुनाने के लिए मशहूर रहीं। उन्होंने पाकिस्तान, चीन, नेपाल, अमरीका जैसे देशों के सामने देश का पक्ष बड़ी मजबूती और बेहद विनम्रता से रखा, बिल्कुल तनाव मुक्त होकर। वे श्रीलंका में उच्चायुक्त और पेरू में देश की राजदूत रह चुकी हैं। वे मॉस्को स्थित भारतीय मिशन में भी काम कर चुकी हैं। साथ ही विदेश मंत्रालय में पूर्वी एशिया मामलों की संयुक्त सचिव भी रह चुकी हैं।
-प्रस्तुति: आशीष जैन

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1 comment:

  1. Sir Jee, Padh To Budhwaar KO Hi Liya Tha Per baato-Baaton Me Pratikriya Deni Bhool Gya Tha. Ab Jadui Blog Per Najar Padi To Yaad Aaya...

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