भरी गर्मी में जब कोई किसी को तड़पता छोड़ दे, तो क्या उस शख्स स्वर्ग नसीब हो सकता है? स्वर्ग तो क्या उसे तो नरक में भी जगह नहीं मिलेगी। अब क्या बताएं आपको, कहां-कहां तड़पना नहीं पड़ता हमें। बीवी मायके में जाकर जम चुकी है, ऑफिस से बिजली गायब है और पता नहीं शहर में कहां से इतनी भीड़ आ गई है कि बस में कदम रखने को जगह नहीं मिलती। पता नहीं ऊपर वाले ने ये ग्रीष्म ऋतु किससे पूछकर बनाई थी। जरूर पैसे वालों ने रिश्वत दी होगी उन्हें। उनका क्या है, एसी कारों में घूमते हैं। मोबाइल फोन पर बीवियों से बतियाते हैं। हम क्या करें, लू के थपेड़े खाएं, पत्नी को चिट्ठी लिखेंगे, तो क्या होगा? दस दिन में उसे मिलेगी और उसका जबाव पंद्रह दिनों में लौटकर आएगा। जब तक तो हमारा अंत ही हो जाएगा। हम तो आप से ही एक सवाल करते हैं, सच-सच बताना, क्या जून का महीना आपको रास आता है। हमें पता है कि चाहे वजह कोई भी हो, पर पूरी दुनिया इस जून के महीने से तंग आ चुकी है।
अब क्या बताएं कि क्या-क्या दर्द हैं, इस जिया में। जब से हमारी घरवाली मायके गई, घर का सारा काम हमको ही करना पड़ता है। बर्तन धोते समय लगता है कि अगर मैं इतने अच्छे तरह से बर्तन मांजता जाऊं, तो फिर तो मुझे किसी अच्छे फाइव स्टार होटल में वेटर की नौकरी मिलते देर नहीं लगेगी। ऊपर वाले ने मायका एक ऐसी जगह बनाई है, जहां जाकर हर बीवी खुद को शहंशाह समझने लगती है, फिर तो वो खुदा की भी नहीं सुनती। काम-धाम तो करना नहीं पड़ता, बस इधर-उधर की बातें बनवा लो। गर्मी क्यों आती है? यह हम आज तक नहीं समझ पाए। अगर मैं खुदा होता, तो सबसे पहले इस गर्मी के मौसम को मौसम की लिस्ट में से निकाल फेंकता। गर्मी तो है ही, उस पर ये छुट्टियां और खाज का काम करती हैं। कसम से कहने को तो ये छुट्टियां बच्चों के लिए आई हैं, पर इसका सारा मजा बीवियां ही लूटती हैं। अब लगो रहो घर की दीवारों से बात करने में।
अब इधर-उधर मुंह मारने के दिन भी तो नहीं रहे। आजकल हर बीवी सर्तक है। ऐसे में पतियों की निगरानी करने के लिए पड़ोसन को बाकायदा ड्यटी देकर जाती है। पड़ोसन को तो उसकी बात माननी ही पड़ती है। आखिर उसका भी तो सांड सा पति है और वो भी तो मायके जाएगी, फिर उसकी निगरानी हमारी बीवी रखा करेगी। तभी हमारी पड़ोसन दिनभर दरवाजे पर पहरेदार की तरह बैठी रहती है। बीवियों की ये जो बिरादरी होती है ना, ये अपने अच्छे भले पति को बिगाड़ देती हैं। अगर पति दिनभर काम करके थका-हारा घर पर आता है, तो सोचती हैं कि जरूर दाल में कुछ काला है और जब यही पति किसी के साथ मजे उड़ाकर घर आता है और बीवी से मीठी-मीठी बातें करता है, तो पत्नी रहती है खुश। हमारे सालों रिसर्च करके एक बात तो पता कर ली है कि ये पत्नियां मायके जाती क्यों हैं? पत्नियां मायके जाए बिना भी खुश रह सकती हैं और मां-बाप से मिलना तो एक बहाना है। वो तो मायके जाकर पति को अंगूठे के नीचे रखने की नई-नई विचार-गोष्ठियों का आयोजन करती है और ऐसी तकनीकें ईजाद करती हैं कि पति नाम का जीव सदा उसके चंगुल में फंसा रहे। मायके में सारी सुविधाएं हैं, किसी भी मंथरा को घर पर आमंत्रित करो और योजनाएं बनाओ।
मैंने कहीं सुना था कि पत्नियां मायके रिचार्ज होने जाती हैं, अरे, मैं कहता हूं कि पत्नियां तो मायके हमें डिस्चार्ज करने जाती हैं। गर्मी में हमें अमरस पिए हुए कितने दिन हो गए, अगर बीवी होती, तो कितने प्यार से जूस निकालकर पिलाती। हम तो एक योजना बना चुके हैं, कलैंडर के किसी तरह से जून का महीना ही गायब कर दें। इसके लिए चाहे हमें एक नया महीना ईजाद करना पड़े, पर हम हार नहीं मानेंगे। मैं तो इस पक्ष में पूरे देश के पीडि़त पति मेरा साथ दें और कानून से मांग करें कि बीवियों के मायके जाने पर कानूनन रूप से रोक लगाई जाए। बीवियों के मायके जाने से पति वर्ग परेशान हो जाता है और इससे देश की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ता है। हमें पूरी आशा है कि आप हमारी बात को समझ रहे होंगे और जल्द से जल्द हमारे पति पीडि़त संघ में शामिल होकर अपना दर्द हमारे साथ बांटेंगे।
-आशीष जैन
Mohalla Live
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जाहिलों पर क्या कलम खराब करना!
Posted: 07 Jan 2016 03:37 AM PST
➧ *नदीम एस अख्तर*
मित्रगण कह रहे हैं कि...
8 years ago
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