29 May 2008

चल चला चल


कोई नहीं है तेरा, तू हंसता चल।
राह के साथी के, दर्द में फंसता चल।।

मंजिलें मिलेंगी तुझे, ना घबरा।
तूफानों में फंस, मझधारों से निकलता चल।।

खूब हंस, नाच ले, झूम ले।
दिल तोड़ दे कोई, तो सिसकता चल।।

दूर है किनारा, सेहरा में फंस गया।
लेकर दिल के अरमां, मचलता चल।।

मिले खुशियां, तरक्की, शोहरत।
राह भर फिर तू चहकता चल।।

इंसां है तू भी, दर्द होता है।
जाम बनके, तू भी होठों से छलकता चल।।

- आशीष जैन

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1 comment:

  1. मंजिलें मिलेंगी तुझे, ना घबरा।
    सपने साकार करने के लिये ही होते है।
    आपका स्वागत है।

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