क्या कहा। हम बीजिंग में तीन पदक जीत गए। तो फिर चुप क्यों हो भई? खुशियां मनाओ ना। अभी तो पंद्रह अगस्त गया है। देश का गुणगान कर ही रहे थे। अब तो लग भी रहा है कि वाकई हम तो गुणों की खान हैं। अब ये मत पूछो कि हमने खिलाड़ियों के लिए क्या किया? भई याद करते-करते जुबान थक गई थी, पर हमें तो अंत राज्यवरधन सिंह राठौड़ ही याद थे। पर क्या करें, वो भी उस परदे की शूटिंग के चलते असल शूटिंग याद ही नहीं रख पाए। और सबसे बड़ी खुशी की बात तो यह है कि अब अंजलि, राज्यवरधन की बजाय एक नवा-नवा नाम अभिनव लोगों की जुबान पर चढ़ रहा है। जय हो अभिनव देव। तुम तो निशानेबाजी के धुरंधर निकले। गजब का जादू चलाया तुमने दादा। सब पस्त। चेहरे पर क्या तेज है, तुम्हारे। आगे भी इसी तरह हिंदुस्तान का नाम रोशन करो और बताओ देश को कि जीता अभिनव है और हारा हिंदुस्तान है। तुमने खुद के दम पर ये गोल्ड मैडल पाया। जरमनी जाकर मेहनत की। आज भी देश में लाखों अभिनव हैं, पर हर कोई तुम्हारी तरह बाहर थोड़े ही जा पाएगा। खैर छोडो़ सारी बातें। अब तो तुम स्टार बनकर करोड़ों लोगों के इस महादेश में धूम मचाते जाओ और देश का नाम ऊंचा करते जाओ।
Mohalla Live
-
Mohalla Live
------------------------------
गाली-मुक्त सिनेमा में आ पाएगा पूरा समाज?
Posted: 24 Jan 2015 12:35 AM PST
सिनेमा समाज की कहानी कहता है और...
9 years ago
No comments:
Post a Comment