मैं डरती हूं भाई से कुछ भी कहने से
मैं नहीं बताती उसे मन की कोई बात।
सोचती हूं सख्त है वो
पर शायद अखरोट सा अंदर से कोमल है वो।
मन का विश्वास है कि डांटेगा ही
पर नहीं होगा नाराज।
कर लेती हूं सपनों के राजकुमार से प्यार
अक्स नजर आता है भाई का सा उसमें मुझे।
डरती हूं टोकता है भाई मेरा बार-बार
लड़ती हूं क्यों दखल है हर काम में हर बार।
दम दिखलाती हूं हर किसी को
पर उसमें छुपा है भाई का प्यार।
डरती हूं मैं भाई से कुछ भी कहने से
पर डरती हूं बिना उसके रहने से।
हर पल रहे वो मेरे साथ
ना बोले, पर लगता है कर रहा है मुझसे बात।
डरती हूं मेरी डोली उठने के बाद
रह जाएगा हो जाएगा वो बिल्कुल उदास।
पर अब मन से डर जा रहा है
राखी का त्योहार आ रहा है।
इक रेशमी धागे बांध लूंगी दिलों के तार
बजता रहेगा उससे सदा मधुर संगीत।
हर डर हो जाएगा तब काफूर
वो नहीं रहेगा वो मेरे मन से दूर।
मैं नहीं बताती उसे मन की कोई बात।
सोचती हूं सख्त है वो
पर शायद अखरोट सा अंदर से कोमल है वो।
मन का विश्वास है कि डांटेगा ही
पर नहीं होगा नाराज।
कर लेती हूं सपनों के राजकुमार से प्यार
अक्स नजर आता है भाई का सा उसमें मुझे।
डरती हूं टोकता है भाई मेरा बार-बार
लड़ती हूं क्यों दखल है हर काम में हर बार।
दम दिखलाती हूं हर किसी को
पर उसमें छुपा है भाई का प्यार।
डरती हूं मैं भाई से कुछ भी कहने से
पर डरती हूं बिना उसके रहने से।
हर पल रहे वो मेरे साथ
ना बोले, पर लगता है कर रहा है मुझसे बात।
डरती हूं मेरी डोली उठने के बाद
रह जाएगा हो जाएगा वो बिल्कुल उदास।
पर अब मन से डर जा रहा है
राखी का त्योहार आ रहा है।
इक रेशमी धागे बांध लूंगी दिलों के तार
बजता रहेगा उससे सदा मधुर संगीत।
हर डर हो जाएगा तब काफूर
वो नहीं रहेगा वो मेरे मन से दूर।
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